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16 Mar 2025 · 1 min read

रंगभरा मौसम

रंगभरा मौसम

त्यौहार आते है जाते है, कमाल है यह रंग की;
छोटे बड़े रंग लगा के करते है धमाल संग की।

सड़कों पर दौड़ना, ज़ोरदार जयकारे लगाना;
अमीर हो या ग़रीब, होली में सब को एक दिखाना।

छिप जाता जब कोई, सभी ढूंढे इकठ्ठे होकर;
मिल जाता जब ऐसा लगाये रंग लगे जोकर।

भाभी बनती भोली, भिगोये उसे देवरों की टोली;
साली की बात निराली, भागती देकर नई गोली।

पूरा शहर खेलता है, भिगोता गाता और नाचता;
हिंदू त्यौहार फैलाये अलग अलग रंगो से एकता।

गले मिलते हैं आलिंगन करते हैं, रंगो की बौछार;
प्यार, विश्वास, स्नेह, फ़िकर की होती औतार।

अबीर गुलाल की बौछार से गुनगुनाते प्रीत गीत,
सच्ची ‘परख’ है सनातन, सब को मिले मनमीत।

हसमुख बी. पटेल, ‘हर्ष’’परख’

नारदीपुर – अहमदाबाद

औतार > अवतार या अभिव्यक्ति.

Language: Hindi
24 Views
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