रंगभरा मौसम
रंगभरा मौसम
त्यौहार आते है जाते है, कमाल है यह रंग की;
छोटे बड़े रंग लगा के करते है धमाल संग की।
सड़कों पर दौड़ना, ज़ोरदार जयकारे लगाना;
अमीर हो या ग़रीब, होली में सब को एक दिखाना।
छिप जाता जब कोई, सभी ढूंढे इकठ्ठे होकर;
मिल जाता जब ऐसा लगाये रंग लगे जोकर।
भाभी बनती भोली, भिगोये उसे देवरों की टोली;
साली की बात निराली, भागती देकर नई गोली।
पूरा शहर खेलता है, भिगोता गाता और नाचता;
हिंदू त्यौहार फैलाये अलग अलग रंगो से एकता।
गले मिलते हैं आलिंगन करते हैं, रंगो की बौछार;
प्यार, विश्वास, स्नेह, फ़िकर की होती औतार।
अबीर गुलाल की बौछार से गुनगुनाते प्रीत गीत,
सच्ची ‘परख’ है सनातन, सब को मिले मनमीत।
हसमुख बी. पटेल, ‘हर्ष’’परख’
नारदीपुर – अहमदाबाद
औतार > अवतार या अभिव्यक्ति.