मेरे आंखों के आंसू को ये आंगन रोक देता है
मेरे आंखों के आंसू को ये आंगन रोक देता है
मैं चौखट जब भी लांघू ये आंगन रोक देता है
मैंने आंगन की राखी पर बिठाया एक कुत्ते को
मैं जब घर से निकलता हूं वो कुत्ता भौंक देता है
✍️कवि दीपक सरल
मेरे आंखों के आंसू को ये आंगन रोक देता है
मैं चौखट जब भी लांघू ये आंगन रोक देता है
मैंने आंगन की राखी पर बिठाया एक कुत्ते को
मैं जब घर से निकलता हूं वो कुत्ता भौंक देता है
✍️कवि दीपक सरल