खुशियाँ मिले या ग़म मिले , बाँट रहा दरबार ।

खुशियाँ मिले या ग़म मिले , बाँट रहा दरबार ।
सोच में अब डूबा पथिक , क्या पाए इस बार ।।
✍️नील रूहानी..
खुशियाँ मिले या ग़म मिले , बाँट रहा दरबार ।
सोच में अब डूबा पथिक , क्या पाए इस बार ।।
✍️नील रूहानी..