भ्रष्टाचार
वे पहले दूध पिया करते थे !
बड़े ही प्यार से रबड़ी चखा करते थे !!
किन्तु अब उनमें
विचित्र परिवर्तन नजर आ रहा है !
चारा खा-खाकर
उनका दुबला पतला शरीर
फूला जा रहा है !!
यह परिवर्तन देख
पत्रकारों ने उनसे पूछा…
हे भाग्य विधाता श्रीमान !
जरा दीजिए ! हमारी ओर भी ध्यान !!
इतिहास हमें बताता है !
कि घान का कटोरा
छत्तीसगढ़ ही कहलाता है !!
तो फिर आप वहां का
चावल ही चावल खाएंगे !
तो पांच साल में
मोटे नही हो जाएंगे ?
वे पहले तो सकुचाए !
फिर महिला की तरह मुस्कुराए !!
और अपने शब्दों को
सर्तकता के तराजू में तौले !
पत्रकारो से हंसते हुए यूं बोले !!
माना चावल ही चावल खाएंगे !
तो पांच साल में मोटे हो जाएंगे
किन्तु उसे पचाने हम
चारा भी खाएगें !!
• विशाल शुक्ल