माता अनुसूया

माता अनुसूया के सतीत्व से
सकल ब्रह्मांड दीप्तिमान है
दिव्य तेज चहुंओर फैला
सभी जीव करते गुणगान है
सतीत्व का दमक देखकर
व्याकुल हुई त्रिदेव पत्नियाँ
कहती है फिर पतिदेव से,
हम भी जाने ये कैसी सिद्धियाँ
मानव सुलभ गुण ईर्ष्या का
देवताओं में भी रहता सदा
सौभाग्य पर ताले लगा देती है ये
ईर्ष्या-द्वेष से तुम बचना सदा
नारद मुनि का सुनकर सतीत्व बखान
सहन हुआ नहीं ,ये था ईर्ष्या का गुमान
जाओ तो जल्दी वहां,
लेने परीक्षा पतिदेव तुम
देवपत्नियों ने दी थी आज्ञा ,
करो प्रस्थान अतिशीघ्र तुम
त्रिदेव थे सुनकर चकित
जानते वो महासती का प्रताप
आज्ञा यदि पूरी नहीं करे,
तो होगा नहीं फिर भार्या मिलाप
रुप लेकर ब्राम्हणों का फिर
त्रिदेव पहुंचे ऋषि अत्रि के आश्रम
अगहन पूर्णिमां का दिन था,
सोचने लगे परीक्षा विधि उत्तम
माता अनुसूया को सामने देख
स्तनपान कराने का आग्रह किया
भोजन ग्रहण करने से पहले
आतिथ्य का ये कैसा दुराग्रह किया
असमंजस में पर गयी माता अनुसूया
संयम,शुचिता तपोनिष्ठ माता अनुसूया
अपने इष्टदेव का तब माता ने ध्यान लगाया
सतीत्व के प्रभाव से त्रिदेवों को बालक बनाया
वात्सल्य रस दुग्धपान करा
फिर पालने उसने झूलाया
कभी लोरी सुनाती माता
कभी बालक गोदी में उठाया
नारद मुनि पहुंचे स्वर्गलोक
बताया त्रिदेवों का जो हाल
सुनकर के त्रिदेवियां व्याकुल हुई
चली जानने फिर पतियों का हाल
नन्हा रूप पतिदेव का देखी जब
आदि शक्तियां गौरी लक्ष्मी ब्रह्माणी
तो दिल घबराया बहुत,
हुई शर्म से पानी पानी
माता अनुसूया ने कहा उठाय लो
तुम्हारा पति लेटा है पालने में
पहचानो तो सही से तुम
इतने दिन साथ रही सामने में
तब माता अनुसूया की त्रिदेवियों ने
क्षमा करने की हाथ जोड़ विनती करी
पुनः अपने रुप मे लाया त्रिदेवों को
ये सतीत्व का प्रभाव था माता की
इन नारी विभुतियों का बखान
पुस्तकों में कहां होता गुणगान
नारी मुक्ति आंदोलन का युग है ये
कलियुग है ये… कलियुग है ये…
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २५/०२/२०२५
फाल्गुन ,कृष्ण पक्ष, द्वादशी तिथि,मंगलवार
विक्रम संवत २०८१
मोबाइल न. – 8757227201
ईमेल पता – mk65ktr@gmail.com