मनी प्लांट
मनी-प्लांट
********
कमरे में हँसता-खिलखिलाता
मनी-प्लांट
अब सूख रहा है
सूखते पत्तों में भी
आँसुओं की बूंदें
महसूस होती हैं
वह जानता है
कि उसके पल्लवित-पुष्पित होने पर
खुश होने वाला व्यक्ति
अब सूख सा गया है
उसके पास अब नहीं रहे
कुछ रिश्ते
जिन्हें वह अपना
मनी
समझता था
जो उसके लिए उसके धन थे
जिनमे संवेदना के
लहू बहने की संभावना थी
परंतु नहीं
उन रिश्तों में बह रहे थे विष
“मेरे मालिक का मनी-प्लांट-
उसके सभी रिश्ते
जब सूख गये
फिर क्या करूँगा मैं
इस कमरे में लहलहाकर।”
—-अनिल कुमार मिश्र,राँची,झारखंड।