*वैसे हम हिंदी वाले हैं, लेकिन भाती उर्दू है (हिंदी गजल)*

वैसे हम हिंदी वाले हैं, लेकिन भाती उर्दू है (हिंदी गजल)
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1)
वैसे हम हिंदी वाले हैं, लेकिन भाती उर्दू है
घर-बाहर अक्सर प्रयोग में, प्रतिदिन आती उर्दू है
2)
आता है जो शब्द दिमागों में चल-चलकर तुरत-फुरत
पता चलेगा उन शब्दों की मोहक थाती उर्दू है
3)
अवचेतन में बसे हुए हैं शब्द सैकड़ों वर्षों से
शब्दों की दुनिया में अब भी राह सुझाती उर्दू है
4)
शिलालेख सौ साल पुराने से ज्यादा जब भी देखे
शब्द पुराने भूल चुके जो उनको गाती उर्दू है
5)
लिखी रोज जब हमने उर्दू नुक्ता बिना लगाए ही
आशय था केवल बस इतना हमें सुहाती उर्दू है
6)
गए बादशाहों के दिन अब कहॉं नवाबी शासन है
लेकिन अब भी गजलों का संसार सजाती उर्दू है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451