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22 Feb 2025 · 1 min read

मुसाफिर

ओ मुसाफिर जाग जा
अब तो सुबह हो आयी है।
चिड़िया लगी चहकने को
सूरज की किरणें भी छाई है।।

तुझे बुलाती मंजिल तेरी
कब तक सोया रहेगा तू।
हवा भी कहती चल आगे
किस बात से है घबराता तू।।

ओ मुसाफिर, राहें तुझको
गुन गुन गान सुनाती है।
फूलों सी महकाती मंजिल
तुझको पास बुलाती है।।

चल बढ़ आगे, छू आसमान को
सपनों को सच बनाना है।
जीत ले तू हर मुस्किल को
दुनिया में परचम लहराना है।।

@ विक्रम सिंह

Language: Hindi
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