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20 Feb 2025 · 1 min read

कोमल कली

नव सौंदर्य की पल्लव
पर्यावरण की सुरभि हूँ

देवी देवों की अराधना
पूजा की सुंदर थाली हूँ

मण्डप की साज सज्जा
शादी ब्याह की गवाह हूँ

प्रेयसी दिल चाहता का
प्रीतम हाथों का इज़हार

नव मिलन की वाणी हूँ
सारे जहां की पहचानीं

जाति धर्म कर्म मज़हब
रंग रूप भेष भाषा नहीं

दिलोंजान की प्यारी हूँ
वाग बगीचा घर धरती

माता मेरी सबसे प्यारी
नीला आसमां हैं पिता

जल वायु से गहरा नाता
सूरज भैया है मेरा प्यारा

पोषक तत्वों से पाला पोसा
रूप सौन्दर्य की महारानी मैं

मधुर मुस्कान की मुग्धा हूँ
नन्हीं कली में बचपन मेरा

हरी भरी नव किसलय डाली
सकुन भरा कोमल विस्तर है

पवन भैया झूला झूलाता
कोयल की कूक है प्यारी

पहपिहे की टेर है न्यारी
भॅवरे मॅडराते गूंजते स्वर

मन्द मन्द वायु थपकियाँ
गहरी निंदिया सुलाती है

श्याम सलौने चंदा मामा
पुंज चाँदनी की रातों में

विविध खेल खेलाती हैं
फूल कुसम प्रसून सुमन

नामों से प्यार दिखाती हैं
ओस कण मुंह धोता मेरा

सूर्य की सुनहरी किरणें हमें
खिल खिलाकर हँसाता है

कविवर कल्पना की ये सुन
वाणी से फूला न समाता हूँ

नहीं पराग नहीं मधुर मधु
नहीं विकास इहि काल

अली कली ही सौं बिंध्यौं
आगे कौन हवाल ????

मदमस्तों का चेतन राग मैं
व्यंग आवाज मधुर स्वर हूँ

बता दे जरा मैं हूँ कौन यहाँ
कोमल कली नव पुष्प हो ?

——–00——-
टी .पी तरूण

Language: Hindi
50 Views
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