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20 Feb 2025 · 1 min read

मुकम्मल

दर्द आंखों से छलक ही जाने दो,
तुम मुझे आज रूठ ही जाने दो।

कल मैंने तुमको पुकारा बहुत था
आज मुझको मौन हो ही जाने दो

तुम सही, मैं गलत समझ आ गया
आज पश्चाताप हो ही जाने दो

कशिश प्रेम में अब हल्की हो चली,
मुझे स्वयं में खो ही जाने दो।

बिन तुम्हारे “प्रेम” बिलकुल है अधूरा,
इस तरन्नुम को मुकम्मल हो ही जाने दो।

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मधयप्रदेश 481001
9425822488

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