भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज

भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
भूखों का कैसा हो वसंत?
चारों तरफ़ से बरसती हो रोटियाँ
और भरे हों गोदाम
नंगों का कैसा हो वसंत?
चारों तरफ़ से टपकती हो लंगोटियाँ
और झरता हो कपास
मूर्खों का कैसा हो वसंत?
चारों तरफ़ से निकलती हों गोलियाँ
और मचता हो आतंक!