प्रेमक धार
विधानन्द सिंह'' श्रीहर्ष''
नशे की दुकान अब कहां ढूंढने जा रहे हो साकी,
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जीवन का तो इतना ही फसाना है
हाँ, मैं नाराज़ हूँ,नही तुमसे नहीं, खुद से
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
आओ तुम्हें चाँद पर ले जाएँ
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
I Haven't A Single Things in My Life
पास आकर मुझे अब लगालो गले ,
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
डॉ0 मिश्र का प्रकृति प्रेम
*** " गुरु...! गूगल दोनों खड़े काके लागूं पांय् .....? " ***
हाँ बाम-ए-फ़लक से तुझी को चांद निहारे (ग़ज़ल)
-हर घड़ी बदलती है यह ज़िन्दगी कि कहानी,
शोक और संकल्प के दोराहे पर भारत
बना कावड पिताजी मैं तुम्हें
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे