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19 Feb 2025 · 1 min read

उड़-उड़ के गिरती रही,रुख पर पड़ी नकाब ।

उड़-उड़ के गिरती रही,रुख पर पड़ी नकाब ।
कैसे कोई देखना, छोड़े ऐसा ख्वाब ।।
सुशील सरना / 19-2-25

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