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18 Feb 2025 · 1 min read

दोहा दशम . . . . अखबार

दोहा दशम . . . . अखबार

भोर हुई लो आ गया, आज नया अखबार ।
लेकर अपने अंक में, खबरों का संसार ।।1

प्रथम पृष्ठ पर हैं छपे , नेताओं के राग ।
हाथ मिलाते हाथ में, लेकर जलती आग ।।2

दुर्घटना की सूचना , खून, कत्ल का शोर ।
बेबस जनता देखती, सरकारों का जोर ।।3

अक्षर – अक्षर खोलता, नेताओं की पोल ।
आश्वासन के जाल में, जनता जाती डोल ।।4

कहीं नारी उत्थान तो , कहीं नारी लाचार ।
अजब-अजब सी सूचना ,लायी है अखबार ।।5

कैसे ओ अखबार तू, भर लायी अंगार ।
चीर हरण की वेदना, नार सहे लाचार ।। 6

कुंभ तीर की भीड़ पर, चीख रहा अखबार ।
घायल जन के घाव पर, मौन हुई सरकार ।।7

अव्यवस्था से हुई, हृदय विदारक बात ।
चित्रावली अखबार की, दिखा रही आघात ।।8

ग्रास भीड़ का कुंभ में, बने हजारों लोग ।
आँखें बेबस भोगती, अंध भक्ति का भोग ।।9

अखबारों ने कुंभ का, जमकर किया प्रचार ।
विश्व पटल पर आस्था, खूब हुई साकार ।।10

सुशील सरना / 18-2-25

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