★ पांच लुटेरे ★

मुसीबतों के दौर में,
घबराए ना कोय।
कुंदन लिपटा कींच में,
कब कीमत कम होय।।१.
हीरा सा तन खो दिया,
सुंदर समय सुजान।
अभिमानी जीवन जिया,
करता मान गुमान।।२.
प्यासे को अमृत लगे,
समझदार को अर्थ।
वर्ना दुनिया फेंकती,
बिन कारण ही व्यर्थ।।३.
खामी से खूबी भली,
सबका मन खुश होय।
सदा कंटिली बात से,
औरन को दुख होय।।४.
कड़ुबे वचन न बोलिए,
जिनसे उपजे शूल।
भूलें से भी भूलकर,
कभी न होवे भूल।।५.
जागो महुरत ब्रह्म में,
शीतल हो जल स्नान।
भूख भजन दोनों समे,
कहते चतुर सुजान।।६.
साथ निभाए संग तो,
चून खैर का संग।
पान अकेला क्या करें,
संग मिलें तो रंग।।७.
सजग बनो जलते रहो,
दीपक बन सब रात।
बुझे अगर मानो मिटे,
कौन करेगा बात।।८.
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कवि- गजानंद डिगोनिया ‘जिज्ञासु’