प्रेम बिना जीवन कहाँ,

प्रेम बिना जीवन कहाँ,
प्रेम जगत का सार।
डूब गया जो प्रेम में,
उतर गया भव -पार।।
✍️डॉक्टर रागिनी स्वर्णकार शर्मा,इंदौर
प्रेम बिना जीवन कहाँ,
प्रेम जगत का सार।
डूब गया जो प्रेम में,
उतर गया भव -पार।।
✍️डॉक्टर रागिनी स्वर्णकार शर्मा,इंदौर