बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया के प्रवचन से सूरत में गूंजा श

बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया के प्रवचन से सूरत में गूंजा श्रीमद्भागवत महात्म्य और गोकर्ण उपाख्यान
सचिन, सूरत: राम रामेश्वर मंदिर प्रांगण में समरसता सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित भव्य संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महापुराण साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ अत्यंत दिव्य, भव्य और आध्यात्मिक वातावरण में हुआ।
कथा के प्रथम दिवस में देश की सबसे कम आयु की बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने अपने ओजस्वी प्रवचनों से श्रीमद्भागवत महात्म्य और गोकर्ण उपाख्यान का गूढ़ एवं मार्मिक वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति रसधारा में सराबोर कर दिया। उनके प्रवचनों में निहित ज्ञान, भक्ति और वैराग्य के संदेश ने सभी को गहराई तक प्रभावित किया।
दिव्य कलश यात्रा ने मोहा मन
कथा आरंभ से पूर्व 101 कन्याओं द्वारा निकाली गई दिव्य कलश यात्रा ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया। पीले वस्त्रों में सजी कन्याओं ने सिर पर कलश धारण कर मंगल मंत्रों का उच्चारण किया और वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। श्रद्धालुओं ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर कन्याओं का स्वागत किया और इस अलौकिक दृश्य का आनंद लिया।
श्रीमद्भागवत महात्म्य: भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी
बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने अपने प्रवचनों में श्रीमद्भागवत महात्म्य का सार प्रकट करते हुए कहा,
“श्रीमद्भागवत महापुराण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी है, जो मानव को भवसागर से पार कराकर मोक्ष की ओर ले जाती है।”
उन्होंने बताया कि जब भक्ति वृद्ध हो गई और उसके पुत्र ज्ञान और वैराग्य अचेत हो गए, तब महामुनि नारद ने श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण का परामर्श दिया। कथा के प्रभाव से ही भक्ति में पुनः नवजीवन का संचार हुआ और ज्ञान-वैराग्य पुनः जागृत हो गए।
उन्होंने कहा,
“कलियुग में केवल भगवन्नाम और श्रीमद्भागवत कथा ही मोक्ष का सशक्त माध्यम है। इस कथा का श्रवण व्यक्ति को न केवल सांसारिक दुखों से मुक्त करता है, बल्कि उसे ईश्वर की परम शरण में पहुंचा देता है।”
श्रद्धालु उनके शब्दों को सुनकर भक्ति भाव में डूब गए।
गोकर्ण उपाख्यान: श्रद्धा, सेवा और मोक्ष की प्रेरक गाथा
बाल व्यास ने गोकर्ण उपाख्यान का हृदयस्पर्शी वर्णन करते हुए बताया कि गोकर्ण ने अपने पितृभक्त पुत्र होने का धर्म निभाते हुए अपने भाई धुंधकारी को श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मोक्ष प्रदान किया।
उन्होंने कहा,
“गोकर्ण उपाख्यान हमें सिखाता है कि जब हम सच्चे मन, श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रीमद्भागवत कथा सुनते हैं, तो ईश्वर कृपा अवश्य होती है। यह कथा आत्मा को शुद्ध कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त करती है।”
गोकर्ण द्वारा भगवान की स्तुति और आकाशवाणी का उल्लेख करते हुए जब उन्होंने कहा, “श्रीमद्भागवत कथा वह अमृत है जो जीवन के हर संकट का समाधान देती है”, तब श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
भजनों पर झूमे श्रद्धालु
कथा के मध्य जब बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने “हरे राम हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे” भजन का संकीर्तन कराया, तो पूरा पंडाल भक्ति में झूमने लगा। श्रद्धालु अपने स्थानों से खड़े होकर कृष्ण नाम संकीर्तन में डूब गए।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
श्रद्धालु श्यामलाल अग्रवाल ने कहा,
“इतनी छोटी उम्र में इतनी गूढ़ आध्यात्मिक व्याख्या सुनना एक अद्वितीय अनुभव है। श्वेतिमा माधव प्रिया की कथा शैली अद्भुत है।”
महिला श्रद्धालुओं ने भी बाल व्यास की संस्कृत श्लोकों पर पकड़, आधुनिक उदाहरणों से कथा को सरल बनाने की कला और भक्ति भाव की सराहना की।
बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया: एक परिचय
बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया मात्र 8 वर्ष की आयु में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का प्रचार कर रही हैं। वे अपनी बाल्यावस्था से ही धार्मिक ग्रंथों में रुचि रखती हैं।
उनका जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ, जहां आध्यात्मिक साधना और सत्संग की संस्कृति रही।
उन्होंने अपनी आध्यात्मिक शिक्षा अपने पूज्य पिता संत डॉ. सौरभ जी महाराज और अपनी माता डॉ. रागिनी पांडेय से प्राप्त की, जो समाज में सर्वधर्म सद्भाव और आध्यात्मिक चेतना का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
श्वेतिमा ने 5 वर्ष की आयु में संस्कृत श्लोकों का उच्चारण और एवं धार्मिक दंत कथाओं का वाचन भी 5 वर्ष की आयु से प्रारंभ कर दी थी
उन्हें श्रीमद्भागवत महापुराण की गहन शिक्षा पूज्य गुरुवर आचार्य शिवम शुक्ल जी महाराज (शिष्य: डॉ. श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज) से प्राप्त हुई, जिनकी कृपा से वे गहराई से कथा ज्ञान अर्जित कर सकीं।
संगीत की शिक्षा उन्हें विश्व रिकॉर्ड होल्डर श्रीमती सुनिशा जी और अवनिंद्र सिंह जी से मिली, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने भजनों को मधुर स्वर में प्रस्तुत करना सीखा।
उनका मानना है कि श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना केवल एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि मानवता को जोड़ने और परमात्मा की अनुभूति का मार्ग है।
आयोजन समिति की ओर से शुभकामनाएं
इस भव्य आयोजन की सफलता में आयोजक श्री राहुल सिंह (अध्यक्ष, समरसता सामाजिक संस्था) और श्रीमती श्रुति सिंह का विशेष योगदान रहा।
उन्होंने कहा,
“इस कथा का उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक जागरण, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। हम चाहते हैं कि श्रीमद्भागवत के माध्यम से नई पीढ़ी में भी संस्कार, भक्ति और सेवा की भावना का विकास हो।”
आगामी कार्यक्रमों की झलक
आयोजन समिति ने बताया कि अगले कुछ दिनों में कथा के अंतर्गत निम्न कार्यक्रम आयोजित होंगे:
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का भव्य उत्सव
भक्त प्रह्लाद चरित्र का शिक्षाप्रद वर्णन
रुक्मिणी विवाह उत्सव का आयोजन
पूर्णाहुति यज्ञ और महाप्रसाद वितरण
श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक संख्या में पधारकर इस आध्यात्मिक महोत्सव का लाभ उठाने का निमंत्रण दिया गया।
संक्षेप में:
यह आयोजन भक्ति, ज्ञान और समरसता का एक अनूठा संगम बनकर सूरत में अध्यात्म की अलख जगा रहा है। बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया के मधुर वाणी में श्रीमद्भागवत कथा का रसास्वादन, भक्ति संगीत का प्रभाव और आध्यात्मिक अनुभवों की सहज प्रस्तुति सभी को भावविभोर कर रही है।
धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता को समर्पित इस अलौकिक आयोजन के लिए समरसता सामाजिक संस्था को कोटि-कोटि शुभकामनाएं।
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