घनाक्षरी
विजया घनाक्षरी छंद
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पदांत लघु,गुरु
विषय-माँ दुर्गा से संबंधित
करके शेर सवारी,
दुर्गा भवन पधारी,
लगती कितनी प्यारी,
भक्तों पे मेहर करे।।
चुनर पहनी लाल,
काले घुंघराले बाल,
बनती दुष्टों का काल,
त्रिशूल हाथ में धरे।।
लगते हैं जयकारे,
भाव से मैया पुकारे,
भक्त आये तेरे द्वारे,
दुख दुर्गा सारे हरे।।
मंगल काज करती,
सूनी गोद है भरती,
पावन ज्योति जलती,
खुशी के भंडार भरे ।।
करते जन जगराते,
भक्ति के गीत गाते,
मुँह माँगी दात पाते,
खुशियों के फूल झरे।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’