गजरा, महज फूलों का गुच्छा नहीं हैं

गजरा, महज फूलों का गुच्छा नहीं हैं
बल्कि ,
ये अभिव्यक्ति है, कि
मैं शाम को घर लौटना चाहता हूँ ,
तुम्हारे पैरो की पायल
और उन पर लगे आलते का गहरा
लाल रंग,
माथे पे लगी छोटी गोल बिंदी
काले रंग की,
तुम्हारे हाथों पे मेंहदी के गहरे रंग
ये चूड़ियां ये कंगन और अध उलझे केश
तुम्हारे होने से यह मकान, घर हो गया है
ये वो गुलिस्तां के बहार है जो तुम्हारे होने से है,
तुम्हे सोच के मुस्कुराने से है,
दिन भर।