बन्दा तो उन्मुक्त है, बन्दी है अब धर्म ।
बन्दा तो उन्मुक्त है, बन्दी है अब धर्म ।
मनमर्जी की जिंदगी, मनमर्जी के कर्म ।।
नव पल्लव ये आज के, करते इच्छित कर्म ।
हर बन्धन से मुक्त हैं, बन्दी है अब धर्म ।।
सुशील सरना / 15-2-25
बन्दा तो उन्मुक्त है, बन्दी है अब धर्म ।
मनमर्जी की जिंदगी, मनमर्जी के कर्म ।।
नव पल्लव ये आज के, करते इच्छित कर्म ।
हर बन्धन से मुक्त हैं, बन्दी है अब धर्म ।।
सुशील सरना / 15-2-25