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14 Feb 2025 · 1 min read

गुज़रा हुआ ज़माना

कब लौटे के आया है ,गुज़रा हुआ ज़माना।
किसने सुना है यहां,टूटे दिल का फ़साना।

वो बार बार तेरा मुड़ मुड़ के देखना मुझे
मुझे देखने का बस ढूंढते थे तुम बहाना।

वो हसीं यादें , मेरे ज़ेहन में तैरती रहती है
जब संग तेरे बैठ , ख्वाब देखा था सुहाना।

गर्दिश ए वक्त ने , जुदा कर दिया है हमें
मगर माना नहीं दिल ने ,तेरा दूर जाना।

जबीं सजदे में झुकी ,धड़कन भी है रुकी
देख ज़रा पलट कर ,दिल का नज़राना।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
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