तुम भी नादानियां कहां तलाशते हो नादां ?

तुम भी नादानियां कहां तलाशते हो नादां ?
हम उम्र से काफ़ी पहले ही बड़े हुए है।
ये फिसलन का बंदोस्त किसी और के लिए करो,
एक अरसे हम ठोकर खाते, संभले हुए है।
तुम भी नादानियां कहां तलाशते हो नादां ?
हम उम्र से काफ़ी पहले ही बड़े हुए है।
ये फिसलन का बंदोस्त किसी और के लिए करो,
एक अरसे हम ठोकर खाते, संभले हुए है।