प्रशंसा से पिघलना मत और आलोचना से उबलना मत। निस्वार्थ भाव से

प्रशंसा से पिघलना मत और आलोचना से उबलना मत। निस्वार्थ भाव से अपने कर्म करते रहिए, क्योंकि इस धरा का इस धरा पर, धरा का धरा रह जाएगा…🙏🏃🏻चलते रहिए। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। विश्व का कल्याण हो। सुरक्षित रहिए, प्रणाम, नमस्कार, वंदेमातरम् …भारत माता की जय 🚭‼️