आज फिर से नया सवेरा, जागा है जहन में।

आज फिर से नया सवेरा, जागा है जहन में।
पतझड़ के बाद फिर, फूल खिलने लगे चमन में।
टूटे पत्तों को समेट कर, जमींदोज कर चले हम।
हर तरह के फूल खिल रहे, मेरे मन के चमन में।
श्याम सांवरा……
आज फिर से नया सवेरा, जागा है जहन में।
पतझड़ के बाद फिर, फूल खिलने लगे चमन में।
टूटे पत्तों को समेट कर, जमींदोज कर चले हम।
हर तरह के फूल खिल रहे, मेरे मन के चमन में।
श्याम सांवरा……