समंदर
बाहर से तो ठीकठाक है बिखरे तो हम अंदर हैं,
हँसती आँखों के पीछे आँसू का एक समंदर है,
जिस दहलीज़ पर खड़े हैं कैसे करें बयां इसको
लफज़ो में ही हरियाली है दिल तो जैसे बंजर है”
बाहर से तो ठीकठाक है बिखरे तो हम अंदर हैं,
हँसती आँखों के पीछे आँसू का एक समंदर है,
जिस दहलीज़ पर खड़े हैं कैसे करें बयां इसको
लफज़ो में ही हरियाली है दिल तो जैसे बंजर है”