कोकिल,का करुण sssक्रंदन

कोकिल, करुण क्रंदन तेरा प्रश्न प्रगटित करता है।
कोमल कूक करुण पुकार हृदय बेधित करता है।
क्यों स्वर इतना वेदित मार्मिक,
क्यों शोर इतना द्रवितकारुणिक
तमस चीर प्रबलित चीत्कार, विद्रोही सा लगता हैं
क्या तुमने भी गरल जाना
अतुलित परतंत्रता बंधन को,
या अकल्पित माना सरल स्वतंत्रता लक्ष्य संधान को,
क्या ,गोरी ! (अंग्रेजी)काली कपटी कलुषित अभिनंदन तुम्हे कटोचित करता है?
कोकिल, करुण क्रंदन तेराहृदय विदारक लगता है।
क्या खोया पाया,देखा,जो स्वरss विखंडित लगता है।
रक्तरंजित संबंधों, छल आगे
विजय नतमस्तक सा लगता है।
आने को मधुमास ,मनोहर
मनभावन,मनुहार ,मनोरम
जीवन , स्फूरित करता मदमस्त पवन पर कोकिल स्पंदन sssतेरा विचलितsss क्यों? इतना लगता है
कोकिल,क्रुद्ध करुणक्रंदन तेरामुझको संवेदित करता है
गोरे के प्रतिकार प्रबलित तानss तेरा
प्रयास प्रस्फुटित करता है
अपने पाले विभीषणों का कृतअचंभित करता है
कोकिल तेरा करुण क्रंदनमुझको अश्रुपूरित करता है
अंजू पांडेय अश्रु