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8 Feb 2025 · 1 min read

बेसुध सी ख़्वाहिशों का कैसा ख़ुमार है

बेसुध सी ख़्वाहिशों का कैसा ख़ुमार है
तू सामने है फिर भी तेरा इंतज़ार है

– डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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