सैलाब …..

सैलाब …..
होती है
हर पुरानी किताब
एक कब्र
दफ़्न होते हैं जिसमें
कुछ पीले पुराने ख़त
कुछ सिसकते ख़्वाब
और
कुछ सूखे गुलाबों में लिपटे
दर्द के सैलाब
सुशील सरना
सैलाब …..
होती है
हर पुरानी किताब
एक कब्र
दफ़्न होते हैं जिसमें
कुछ पीले पुराने ख़त
कुछ सिसकते ख़्वाब
और
कुछ सूखे गुलाबों में लिपटे
दर्द के सैलाब
सुशील सरना