” गिरगिट “

सत्ता की चाह में नशे में झूम रहे हैं
संविधान के रक्षक बने घूम रहे हैं,
जो देश टुकड़ो में कभी बाँट रहे थे
वो माँ भारती के चरण चूम रहे हैं,,
सत्ता की चाह में नशे में झूम रहे हैं
संविधान के रक्षक बने घूम रहे हैं,
जो देश टुकड़ो में कभी बाँट रहे थे
वो माँ भारती के चरण चूम रहे हैं,,