दोहा पंचक. . . . जीवन
दोहा पंचक. . . . जीवन
बड़ी कठिन है जिंदगी, राहें बड़ी कठोर ।
फिर पंछी आस का, उड़ता नभ की ओर ।।
चले जिंदगी के लिए, आया ऐसा छोर ।
तनहा से हम रह गए , टूटी जीवन डोर ।
आहट में है ज़िंदगी, आहट प्रेम निदान ।
आहट भेदें शून्य को, आहट आस वितान ।।
पतझड़ भी मधुमास भी, जीवन के सब रंग ।
चलते हैं संसार में, सुख – दुख जीवन संग ।।
जीवन की हर राह के, अनदेखे हैं मोड़ ।
आता है वो मोड़ भी , जब सब जाते छोड़ ।।
सुशील सरना / 7-2-25