जिसके साथ खेलकर मन भर जाए वो खिलोना नहीं है बेटी अरे स्वयं म
जिसके साथ खेलकर मन भर जाए वो खिलोना नहीं है बेटी अरे स्वयं मां दुर्गा का अंश है बेटी पिता कि शान ओर भाई कि अरदास है बेटी अरे मां केलिए तो एक वरदान है बेटी जो कहते हैं क्यों है बेटी तो उनके पास केसी है बुद्धि शायद वो बुद्धिहीन है क्योंकि उन्हें हीरे कि पहचान नहीं है जो समझते उसे मनोरंजन है वो ऐसी एक चिंगारी है जो लगने पर स्वयं महाकाली है । साहब मनोरंजन नहीं आपके लिए भगवान का वरदान है।
काव्या हर्षिता चौबीस 🖊️