बसंत ऋतु आयी।

सुहानी वसंत ऋतु आयी,
मलय समीर संग लायी।
सरसों के दल ऐसे फूले,
टेसू राजा ने आरती गायी।
आम्र तरू बोरों से भर गयी,
कचनार कली मुस्करायी।
पवन चली जब पुरवायी,
वनस्थली वधु सज आयी।
भौंरें गाते हैं गुन गुन,
कोयल ने छेड़ी नयी धुन।
मक्खी रही सरस मधु चुन,
बसंती लगता सारा उपवन।
ऋतुओं का राजा धिराज,
जन मानस खुश है आज।
इठलाती फिर रही आज,
स्नेह, कौतूहल, हास विलास।