म़ै….

म़ै….
तुमसे प्रेम करना छोड़ दूँगा उस दिन,
जिस दिन,
सूर्य परिक्रमा शुरु करेगा पृथ्वी की,
जिस दिन,
आग लग उठेगी बर्फ़ में,
जिस दिन कवियों के बिना
लिखी जायेंगी कवितायें
बस, उसी दिन तुम्हारे प्रति
मेरी भावनायें शून्य हो जायेंगी
और मैं,
विलीन हो जाऊँगा शून्य में
उस दिन….!!!!
हिमांशु Kulshrestha