हो रही रस्में पुरानी क्यों नहीं कुछ लिख रहे हो।

हो रही रस्में पुरानी क्यों नहीं कुछ लिख रहे हो।
खो रही कबीरा की वानी क्यों नहीं कुछ लिख रहे हो।।
कृष्ण की मुरली की धुन पर छोड़कर महलों का सुख।
हो रही मीरा दीवानी क्यों नहीं कुछ लिख रहे हो।।
“कश्यप “