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5 Feb 2025 · 1 min read

चाँद भटका सदी से बहुत रात भर

चाँद भटका सदी से बहुत रात भर
ले जहाँ में हमेशा नयी चांदनी
बंद फाटक किये यूँ न वाकिफ़ रहे
नीत खोये रहे ले अगन रागनी
__संजय निराला

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