आज यहाँ जो कल न रहेगा

आज यहाँ जो कल न रहेगा
सत्य यही है काल कहेगा
व्यर्थ जहाँ में कुंठित सारे
पथिक सभी ही है रे प्यारे।।
स्वजन नहीं कोई अपना है
भूल-भुलैया यह सपना है
जीव सभी बेसुध हो क्यों रे
पथिक सभी ही है रे प्यारे
_संजय निराला
आज यहाँ जो कल न रहेगा
सत्य यही है काल कहेगा
व्यर्थ जहाँ में कुंठित सारे
पथिक सभी ही है रे प्यारे।।
स्वजन नहीं कोई अपना है
भूल-भुलैया यह सपना है
जीव सभी बेसुध हो क्यों रे
पथिक सभी ही है रे प्यारे
_संजय निराला