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5 Feb 2025 · 1 min read

आज यहाँ जो कल न रहेगा

आज यहाँ जो कल न रहेगा
सत्य यही है काल कहेगा
व्यर्थ जहाँ में कुंठित सारे
पथिक सभी ही है रे प्यारे।।
स्वजन नहीं कोई अपना है
भूल-भुलैया यह सपना है
जीव सभी बेसुध हो क्यों रे
पथिक सभी ही है रे प्यारे
_संजय निराला

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