अज्ञानता
अज्ञानता में जीवन जीते हैं ।
मृत्यु भी अज्ञानता में ही।
जीवन जीते होश पूर्वक
मृत्यु भी आती होश पूर्वक।
साध ना सके जीवन
अज्ञानता ही अंधकार है।
ज्ञान का प्रकाश
जीवन में साधे
अकुलाती हुई जिंदगी को
प्रेम और सौहार्द दे ।
अज्ञानता का नाश, ज्ञान से कर
जीते जी जीवन को ज्ञान से परिपूर्ण करें।
– डॉ सीमा कुमारी -4-2-025की स्वरचित रचना है मेरी जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।