*सदाचार की हैं शिक्षाऍं, अग्रसेन भगवान की (गीत)*

सदाचार की हैं शिक्षाऍं, अग्रसेन भगवान की (गीत)
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सदाचार की हैं शिक्षाऍं, अग्रसेन भगवान की
1)
मूक सुकोमल पशु को खाकर, कभी पेट को मत भरना
यज्ञ करो लेकिन पशुओं की, हिंसा किंचित मत करना
सब जीवों से प्रेम रहे यह, आदत हो इंसान की
2)
मदिरा सबसे बुरी जगत में, यह मदहोश बनाती है
जो पीता है इसे गर्व से, उसको यह पी जाती है
करो शुद्धि मदिरा-कलंक से, अपने हिंदुस्तान की
3)
ऊॅंच-नीच की खाई पाटो, सबसे सम-व्यवहार करो
सद्भावों को बसा हृदय में, धरती पर नित पॉंव धरो
ध्वजा ईंट-रुपए की हो अब, मानव की पहचान की
सदाचार की हैं शिक्षाऍं, अग्रसेन भगवान की
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451