मुहब्बत की पहली, ही सीढ़ी इनायत

गज़ल
मुहब्बत की पहली, ही सीढ़ी इनायत,
इनायत में होगी , मुक़ामे शिकायत।
शिकायत में बढ़ने , लगेगी रिफ़ाक़त,
रिफ़ाक़त के बदले , मिलेगी अदावत।
अदावत को छोड़ो , बढ़ाओ इबादत ,
इबादत से पाओ , नई इक निज़ामत।
निज़ामत में मशगूल , होती करामत ,
करामत से मिलती , है सबको सहाफ़त ।
सहाफ़त की होगी , कहीं फिर वजाहत ,
वजाहत का अंदाज़ , ही तो नियामत ।
नियामत का रुतबा , बढ़ाये वज़ाहत ,
वज़ाहत ही देगी , तुम्हें इक इमारत।
इमारत में होगी , अजब सी शराफ़त,
शराफ़त न होगी , तो होगी हलाक़त।
हलाक़त से मिलती, नहीं फिर लियाक़त ,
लियाक़त बढ़े , “नील” , जागे मुहब्बत ।
✍️नील रूहानी,, 28/01/2025,,,,,,,🌹
(नीलोफर खान)
नोट _ दोस्तों ! आज एक नए अंदाज़ में ये ग़ज़ल कही मैंने ,,
आप ग़ौर करें , और बताएं , ग़ज़ल कैसी कही मैं ने 🥰