अखिल भारतीय
अखिल भारतीय
हम कहने को लोकल हैं
मगर अखिल भारतीय हैं
खिल-खिलाकर हँसते हैं
इसलिए भारतीय हैं।
रोज लिखते हैं
रोज तपते हैं
अपनी नहीं तो
औरों की पढ़ते हैं
इसलिए हम
अखिल भारतीय हैं
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जो वहां पढ़ी जाती है
यहां भी पढ़ी जाती है
वो बड़ा मंच है
यह नया मंच है
तालियां वहां भी हैं
यहां भी हैं….
वहां एक गीत दो मुक्तक हैं
यहां गीत ही गीत
अनेक मुक्तक हैं।
इसलिए हम
अखिल भारतीय हैं।।
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वहां ऑडियो-वीडियो
ऑप्शन नहीं है….
यहां है…..
हम सुनते भी हैं
हम दिखते भी हैं
वहां चर्चा में कविता है
यहां कवित पे चर्चा है।
हम मन की बात कहते हैं।
इसलिए
हम अखिल भारतीय हैं।
सूर्यकांत