*लगी हुई जिसको लत जिसकी, होती बड़ी खराब है (हिंदी गजल)*

लगी हुई जिसको लत जिसकी, होती बड़ी खराब है (हिंदी गजल)
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1)
लगी हुई जिसको लत जिसकी, होती बड़ी खराब है
तीर्थ नहाकर आए लेकिन, छूटी कहॉं शराब है
2)
मन उजला कब करने देती, है यह दुनियादारी
छूने-भर से ही बिगाड़ती, यह दुनिया तेजाब है
3)
शर्म ऑंख की जब मर जाए, चुप रहना ही बेहतर
बाप सवाल करेगा किस से, सबके पास जवाब है
4)
बड़ा आदमी कहलाने की, इच्छा मन में लेकर
चाहे जितना गिर जाने को, हर कोई बेताब है
5)
वैसे तो मुश्किल लगता है, इस जग से टकराना
लेकिन दुनिया नई बसाना, फिर भी अपना ख्वाब है
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451