अश्क पलकों में छुपाकर चल दिए

2122 2122 212
जाने कैसे मुस्कुरा कर चल दिए
अश्क पलकों में छुपाकर चल दिए
ढूंढने पर वो न मिल पाए हमें
बेवफा ख्वाबों में आकर चल दिए
उन्हें हम मासूम या मक्कार कहें
वो बहुत सी बात सुनाकर चल दिए
हमने सच माना था उनके प्यार को
वो तो यूं ही दिल लगा कर चल दिए
खैरियत क्या हमने पूछा उनका भी
मेरे पीछे सर झुकाकर कर चल दिए।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर