रहूं तो बस तुझमें और सदा चिन्मय रहूं..
मैं था, तब, मैं नहीं था,
जो असल में हूं।
मैं है, तो, मैं नहीं,
जो असल में हूं ।
मैं रहेगा, तब,
मैं, ना रहूंगा,
जो असल में हूं।
मैं, कल था, मैं, आज भी हूं,
और, मैं कल भी रहूंगा।
मैं, नहीं शरीर मात्र,
सच है, और ,मैं सच कहूँगा।
मैं रहूं, पर मैं न रहे ,
मैं रहे, तो मैं न रहूं ।
हे प्रभु ! बस इतना कहूं,
इतनी किरपा करना आप,
मुझसे, मैं को, करना साफ ।
शायद कोई समझे, या, ना समझे,
मुझे, और मेरी पंक्तियां ।
आखिर बस इतना कहूं..
मन में, ना मैं रहे ,ना मैं में, मैं रहूं,
रहूं, तो बस, तुझमें, और सदा चिन्मय रहूं । ….