वतन हमारा एक है ‘

एक नज़्म
उनवान _ ‘ वतन हमारा एक है ‘
वतन हमारा एक है ,
वतन हमारा एक है ।
न बाँट जातियों में तू ,
न बाँट जातियों में तू।
धरम को छेड़ मत कभी,
धरम को छेड़ मत कभी।
तुझे क़सम है अपनी माँ की,
तुझे क़सम है धरती माँ की।
जो मुश्किलों में हैं फँसे,
मदद को आ ,मदद को आ,
दिखा दे अपनी बाज़ुओं की,
ताक़तों का मर्तबा ।
करो मदद ये काम नेक है ,
वतन हमारा एक है।
बचेगा कोई भी नहीं ,
सभी को मौत आयेगी ,
तू हँस रहा है गर किसी पे,
तुझको भी ले के जाएगी ,
बुरा न कह किसी को तू ,
है चंद दिन की ज़िंदगी ,
सभी के कर्म पर नज़र न रख,
ख़ुदी के कर्म देख तू ,कर सही ,
ख़बर थी सबको जिस घड़ी ,
जनम दिया था , माँ ही थी ,
उसी को तू सता रहा, डर कभी ,
जो साँस ले रहा है तू ,
ये साँस छोड़ जाएगी,
बदन जलेगा या दबेगा ,
रखा नहीं ये जाएगा ।
हैं सब ही एक ही , नहीं अनेक है ।
वतन हमारा एक है,
वतन हमारा एक है ।
पुकार सुन ले नील की ,
छोड़ नफरतों की चाशनी ,
हज़ारों साल तक यहाँ ,
टिका नहीं कभी कोई ,
सोच को बुलंद कर ,
देश को नंबर वन कर ,
जहाँ में जगमगाएगा ,
सभी फ़साद भूल जा,
तभी तो मुस्कुराएगा ,
वतन की शान को बढ़ाएगा,
ज़माना देखने तभी तो आएगा ,
खड़े हैं सरहदों जो ,सभी तो एक हैं ,
ग़लत करोगे बात तो , वही अटेक है ,
वतन हमारा एक है ,
वतन हमारा एक है।
✍️नील रूहानी , 03/02/2025….
( नीलोफर खान )
नोट _ ये नज़्म मैंने अभी लिखी है , मेरे देशवासियों हम सब एक हैं,
इसी मिट्टी से जन्मे हुए , इसी में मिल जाना है , तकलीफ़ में कोई भी हो ,साथ दो , साथ रहो , कोई वतनवासी दंगा नहीं चाहता ।