अपने हाथों से काट रहे थे अपने पाँव,

अपने हाथों से काट रहे थे अपने पाँव,
आस्तीन के साँपों को हम देते रहे भाव।
अनिल चौबीसा/9829246588
चित्तौड़ (राज.)
अपने हाथों से काट रहे थे अपने पाँव,
आस्तीन के साँपों को हम देते रहे भाव।
अनिल चौबीसा/9829246588
चित्तौड़ (राज.)