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2 Feb 2025 · 1 min read

अपने हाथों से काट रहे थे अपने पाँव,

अपने हाथों से काट रहे थे अपने पाँव,
आस्तीन के साँपों को हम देते रहे भाव।

अनिल चौबीसा/9829246588
चित्तौड़ (राज.)

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