Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Feb 2025 · 1 min read

अब खजां से घिरा ये चमन हो गया

अब खजां से घिरा ये चमन हो गया
कैसी हालत में मेरा वतन हो गया

अम्न का गुलसितां जग में मशहूर था
अब वहां नफरतों का चलन हो गया

अब न शाखों पे चिड़ियों के नग़मे रहे
जाने क्यों उजड़ा उजड़ा चमन हो गया

शायरी का असर दिल पे होता नहीं
अब बनावट भरा क्यों सुखन हो गया

रौशनी की जगह डर बसा हर तरफ़
शहर भी लग रहा है कि वन हो गया

पा चुका वो मुहब्बत में आला मुकाम
जिसको महबूब अरशद वतन हो गया

Loading...