आशियाना

**आशियाना**
उड़ जाएंगे डाल से हर पंछी एक दिन,
कौन बताए उस पेड़ का आशियाना कहां है।
मुड़ जाएंगे मोड़ से दो रास्ते फिर कहीं,
कौन बताए किस्मत को आगे जाना कहां है।
दिल्लगी के बहाने तो होते हैं हर नज़र,
कौन बताए दिल में किसको बसाना कहां है।
छूट जाते हैं साथ हर मकाम पर घुमंतू,
कौन बताए जज़्बों को थम जाना कहां है।।
~ राजीव दत्ता घुमंतू