Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Feb 2025 · 1 min read

जी सकें जो ज़िंदगी इतनी उमर दो शारदे

जी सकें जो ज़िंदगी इतनी उमर दो शारदे
कर्म से हमको जगत में कर अमर दो शारदे
कर सकें हम हँसते हँसते मुश्किलों का सामना
मूर्ख है हम ज्ञान का भंडार भर दो शारदे
इस महासागर में घिरकर हम खड़े मझधार में
थामकर ये हाथ भव से पार कर दो शारदे
जो हमें इंसानियत का पाठ सिखलाए सदा
धर्म की ऐसी सनातन सत डगर दो शारदे
ध्यान रखना तुम हमारा हर कदम पर प्यार से
ज़िंदगी का कैसा भी फिर तुम सफ़र दो शारदे
सुन लो यदि अरदास तो हो जाएगा जीवन सफ़ल
अपने दिल के कोने में छोटा सा घर दो शारदे
प्रेम के सुर ताल में बंध जाएं मन के तार सब
तुम हमारी ‘अर्चना’ में वो असर दो शारदे
डॉ अर्चना गुप्ता

Loading...