जी सकें जो ज़िंदगी इतनी उमर दो शारदे

जी सकें जो ज़िंदगी इतनी उमर दो शारदे
कर्म से हमको जगत में कर अमर दो शारदे
कर सकें हम हँसते हँसते मुश्किलों का सामना
मूर्ख है हम ज्ञान का भंडार भर दो शारदे
इस महासागर में घिरकर हम खड़े मझधार में
थामकर ये हाथ भव से पार कर दो शारदे
जो हमें इंसानियत का पाठ सिखलाए सदा
धर्म की ऐसी सनातन सत डगर दो शारदे
ध्यान रखना तुम हमारा हर कदम पर प्यार से
ज़िंदगी का कैसा भी फिर तुम सफ़र दो शारदे
सुन लो यदि अरदास तो हो जाएगा जीवन सफ़ल
अपने दिल के कोने में छोटा सा घर दो शारदे
प्रेम के सुर ताल में बंध जाएं मन के तार सब
तुम हमारी ‘अर्चना’ में वो असर दो शारदे
डॉ अर्चना गुप्ता