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1 Feb 2025 · 1 min read

माटी की महक

लुभाए है मन को माटी की महक।
नशा सा छाए ,मन जाए बहक।

तपती धरा पर ,दो बूंदें सावन की
शीतल करे मन , मनभावन सी।

फूली सरसों ,महक उठी अमराई
कोयल ने भी ऐसी कूक सुनाई।

चलते चलो ये सफ़र है बहुत सुहाना
भीनी भीनी खुशबू के संग याराना।

मिट्टी के खिलौने हैं , मिट्टी है हो जाना
इतनी है कहानी ,काहे फिर घबराना

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
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