हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हालात हैं सुधरते,,,, गज़ल
खुशी, गम, मोहब्बत, जलन ये सब एहसास है मेर
*कड़वे भोजन को खाकर भी, जो निज मुस्कान न खोएगा (राधेश्यामी छ
हजार वेळां हारणौ पड़ै है
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
एक आकार
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
"खुशियों को नजरअंदाज करता हूँ ll
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
गीत- सभी हालात में हँसके...